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कुछ दिन पहले
यू. एन. की एक सूची आई थी।
जिसने भारत की स्थिति पर
चिंता बढ़ाई थी।
कहा था भूखे सोने वालों की संख्या में
भारत सूची में ओर नीचे फिसल गया है।
गरीबी में पड़ोसी देशों से
कुछ ओर आगे निकल गया है।
मुझे तो यह सूची ही
पक्षपात से पूर्ण लगती है।
या सर्वे करने में
यू. एन. की ही कोई गलती है।
क्योंकि भारत द्वारा
गेंहू के निर्यात बंद की घोषणा से
दुनिया के ऊपरी दर्जे के
तृप्त देशों के हाथ पैर फूल गए थे।
खुद सूची बनाने वाले यू. एन .की
आंखो में आसूं आ गए थे।
भारत के अनाज पर निर्भर रहते हैं
और उस भारत को भूखा बताते हैं।
जिसका आर्थिक मंदी जैसे माहौल भी
कुछ नहीं बिगाड पाते हैं।
या तो यू .एन .रमजान के महीने में
भारत में सर्वे करवाता है
या नवरात्रों के महीने में यू .एन.
भारत में आता है।
जब भारत की जनता रोजे और व्रत रखती है
यू .एन. को लगता है भारत की अधिकांश जनता भूखी प्यासी रहती है।
.....मिलाप सिंह भरमौरी।
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