इस तरह राजनीती से
हम शिकार हुए थे
पिछले महीने छुट्टी पर
जब हम अपने गांव गये थे
जाते- जाते अपने कल्चर से कुछ
ज्यादा ही प्यार आया था
अपने कबीले की टोपी
पहन के जायेंगे
मन में विचार आया था
दुकान पर जाके बढ़िया- सी
मैंने टोपी खरीदी थी
और बढ़े चाव के साथ
सिर पर पहनी थी
गांव में जाकर लेकिन
मसला कुछ गड़बड़ा गया था
जब अपने इक खास दोस्त ने
घूर के देखा था
जितने भी राह में
पहचान के लोग मिले
सभी ने कुछ न कुछ
कॉमेंट मुझपे जड़े
फिर मैंने इक दोस्त से
पूछा
इस टोपी का है क्या मसला
उसने तुरंत कहा
भाई सिम्पल सी कहानी है
हर गांव में टोपी आज
राजनीती की निशानी है
आपने सिर पर इस पार्टी की पहनी है
जिसने घूर के देखा
वो दूसरी पार्टी का आदमी है
लाल रंग बी. जे. पी. का है
हरा रंग कांग्रेस का है
आप किस पार्टी के है
सबको आप का सिर कह रहा है
मैंने कहा
चलो दूसरा ही रंग खरीद के लायेंगे
उसने फटाक से कहा
भाई आप थर्ड मोर्चे के कहलायेंगे
याद रखना यहाँ नंगे सर ही चलना
किसी न किसी पार्टी के कहलाओगे वरना
मैंने झट से टोपी उतारी
और अपने बैग में रख ली
...................मिलाप सिंह भरमौरी
कविता का आगे का भाग अगली पोस्ट में भेजूंगा
हम शिकार हुए थे
पिछले महीने छुट्टी पर
जब हम अपने गांव गये थे
जाते- जाते अपने कल्चर से कुछ
ज्यादा ही प्यार आया था
अपने कबीले की टोपी
पहन के जायेंगे
मन में विचार आया था
दुकान पर जाके बढ़िया- सी
मैंने टोपी खरीदी थी
और बढ़े चाव के साथ
सिर पर पहनी थी
गांव में जाकर लेकिन
मसला कुछ गड़बड़ा गया था
जब अपने इक खास दोस्त ने
घूर के देखा था
जितने भी राह में
पहचान के लोग मिले
सभी ने कुछ न कुछ
कॉमेंट मुझपे जड़े
फिर मैंने इक दोस्त से
पूछा
इस टोपी का है क्या मसला
उसने तुरंत कहा
भाई सिम्पल सी कहानी है
हर गांव में टोपी आज
राजनीती की निशानी है
आपने सिर पर इस पार्टी की पहनी है
जिसने घूर के देखा
वो दूसरी पार्टी का आदमी है
लाल रंग बी. जे. पी. का है
हरा रंग कांग्रेस का है
आप किस पार्टी के है
सबको आप का सिर कह रहा है
मैंने कहा
चलो दूसरा ही रंग खरीद के लायेंगे
उसने फटाक से कहा
भाई आप थर्ड मोर्चे के कहलायेंगे
याद रखना यहाँ नंगे सर ही चलना
किसी न किसी पार्टी के कहलाओगे वरना
मैंने झट से टोपी उतारी
और अपने बैग में रख ली
...................मिलाप सिंह भरमौरी
कविता का आगे का भाग अगली पोस्ट में भेजूंगा
No comments:
Post a Comment