Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Wednesday, 2 August 2017

बाईक तो मेरी थी

बाईक तो मेरी थी
पर मैं चला नहीं रहा था
एक्सीडैंट हुआ वो मर गया
पर मैं वहां नहीं था।

मैं मैट्रिक पास हूँ
मुझे कानून नहीं आता है
उसे काम था , वही मांगकर ले गया था बाईक
उसकी मौत से मेरा कोई नहीं नाता है।

पर यह कानून मुझे ही
दोषी ठहरा रहा है
मुझ पर बाईस लाख का
हर्जाना लगा रहा है
मैं गरीब हूँ कहां से करूंगा इतना पैसा
मैं सचमुच आत्महत्या करने का मन बना रहा हूँ।

यह कहानी नहीं है हकीकत है सारी
क्या मुझे सजा मिलनी चाहिए
क्या राय है तुम्हारी.........???
इस में मैंने अपनी तो नहीं लेकिन
किसी की हकीकत लिखी है
आपकी राय बहुत ही कीमती है।

...... मिलाप सिंह भरमौरी

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