Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Friday, 9 June 2017

चौरासी मंदिर परिसर

रात का समय था
चौरासी में बैठा था
कृत्रिम रौशनी की झालरों में
मंदिर परिसर चमक रहा था

उस मनमोहक दृष्य को देखकर
यूंही मन में ख्याल आया
इन्ही मंदिरो को ही तो देखने आते हैं सब लोग
छोडकर सब मोहमाया

पर यहां पर हम पूरे परिसर को
तम्बुओं की दुकानों से ढक देते हैं
कहीं पर जूते चप्पलों की दुकान
तो कहीं पर पकौडे और जलेबी रख देते हैं

मंदिरों की मनमोहकता तो
इस तंबू बाजार में ही खो जाती है
कुछ मंदिर तो दिखते ही नहीं हैं
धर्म भावना भी इस झमेले में कहीं सो जाती है

क्यों न निजी लाभ को छोडकर
हम भक्तों की भावना को सर्वोपरी मानें
इस बार मणिमहेष यात्रा के समय
न लगाएं चौरासी मंदिर परिसर में दुकानें

यह खेल खिलौने चप्पल कपडे तो
आजकल हर कहीं मिल जाते हैं
भक्ती भावना से सरावोर दूर दूर से
लोग तो इन मंदिरों को ही देखने आते हैं ।

        ...... मिलाप सिंह भरमौरी

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