हर परिस्थिति अनुकूल चाहिए।
कपडों पर भी नहीं धूल चाहिए।
पांब के नीचे कोई कांटा न आए
बिस्तर पर भी पडे फूल चाहिए।
मिट्टी को खूब बारिश ने भिगोया
उगने के लिए अब धूप चाहिए।
कुछ चारों ओर खामोशी सी है
किसी मुद्दे पर फिर तूल चाहिए।
शाखाएं लचीली भी चल जाएंगी
मजबूत मगर बहुत मूल चाहिए।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
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