आदमी की तरह है हर आदमी
इक दूजे से जुदा है पर आदमी
किसी के लिए है महल यहां पर
कोई है मगर यहां बेघर आदमी
~ milap singh bharmouri ~
आदमी की तरह है हर आदमी
इक दूजे से जुदा है पर आदमी
किसी के लिए है महल यहां पर
कोई है मगर यहां बेघर आदमी
~ milap singh bharmouri ~
Hindi shayari
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तेरे दिऐ हुए जख्मों को मैं
सवर के धागे से सी लेता हूँ
फिर भी गर बडा गुस्सा आए
तो ठंडा पानी पी लेता हूँ
~ milap singh bharmouri ~
वाह रे इन्सान वाह, फितरत तुम्हारी !
सौ मन्नतो के बाद ली सरकारी ...!!
और जब आई बारी डियूटी की तो ..!
कहां खो गई तेरी इमानदारी............!!
Be honest, do best.
~milap singh bharmouri ~