Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Wednesday, 30 April 2014

आदमी की तरह

आदमी की तरह है हर आदमी

इक दूजे से जुदा है पर आदमी

किसी के लिए है महल यहां पर

कोई है मगर यहां बेघर आदमी

~ milap singh bharmouri ~

Monday, 28 April 2014

ठंडा पानी

Hindi shayari
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तेरे दिऐ हुए जख्मों को मैं

सवर के धागे से सी लेता हूँ

फिर भी गर बडा गुस्सा आए

तो ठंडा पानी पी लेता हूँ

~ milap singh bharmouri ~

Sunday, 27 April 2014

इमानदारी

वाह रे इन्सान वाह, फितरत तुम्हारी !

सौ मन्नतो के बाद ली सरकारी ...!!

और जब आई बारी डियूटी की तो ..!

कहां खो गई तेरी इमानदारी............!!

Be honest, do best.

~milap singh bharmouri ~