a place for all original hindi kavita of milap singh bharmouri
वाह रे इन्सान वाह, फितरत तुम्हारी !
सौ मन्नतो के बाद ली सरकारी ...!!
और जब आई बारी डियूटी की तो ..!
कहां खो गई तेरी इमानदारी............!!
Be honest, do best.
~milap singh bharmouri ~
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