शम्मा को देख के तन जाता है
सीना खुद परवाने का
कभी कभी तो मिलता है मौका
हिम्मत और जोश दिखाने का
भगत सिंह है हर हिन्दोस्तानी
हर जन में है शेखर वीर सुभाष
पुण्य वक्त आ गया है
अब दुश्मन की ईंट से ईंट बजाने का
बहुत हो गई शांति की बातें
अब रुद्र रूप दिखाना होगा
घुटनों के नीचे लेकर गर्दन
अब मौका है उसको धूल चटाने का
जो खोया है वतन का टुकडा
जो ओरो के है अब अधीन
अब वक्त आ गया है उसमें भी
तीन रंगी परचम लहराने का
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
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