शराब पीते हैं और झूमते हैं गाते हैं
इस तरह हम अपने गम छुपाते हैं
कोई पूछे जो सबब हमसे पीने का
बेबफा को याद करते हैं मुस्कुराते हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
शराब पीते हैं और झूमते हैं गाते हैं
इस तरह हम अपने गम छुपाते हैं
कोई पूछे जो सबब हमसे पीने का
बेबफा को याद करते हैं मुस्कुराते हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
घोंसलों से निकल के पंछियों ने
छेडा है सुंदर राग
सुबह हो गई है जग
उठ बिस्तर से तू अब जाग
बुला रही है कर्म भूमि तुझे
कर सुर्यवंदना से मन विस्तार
कदम बढा तू है भारत का वासी
कर ले पूर्ण अपने तू सब काज
----- मिलाप सिंह भरमौरी