a place for all original hindi kavita of milap singh bharmouri
घोंसलों से निकल के पंछियों ने छेडा है सुंदर राग
सुबह हो गई है जग उठ बिस्तर से तू अब जाग
बुला रही है कर्म भूमि तुझे कर सुर्यवंदना से मन विस्तार
कदम बढा तू है भारत का वासी कर ले पूर्ण अपने तू सब काज
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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