Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Friday, 20 March 2015

पगला बन

भीतर चला द्वंद्व
बाहर चले श्लोक।

इह लोक में फंसे हुए को
मिले कैसे परलोक।

जीना है तो अंदर की सुन ले
थोडा सा तू पगला बन ले।

देख के अपनी बर्बादी को भी
खींच के तू ताली ठोक।

---- मिलाप सिंह भरमौरी

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