Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Thursday, 19 September 2013

लुटी- सी कलम

देख के अपनी
 दुर्दशा को
रो रही
 लुटी- सी  कलम
तरह -तरह के
 छद्दम लुटेरे 
लूट  रहे
 इसकी अस्मत

ए  को पी  
गधे को जी
एस को नो 
कर  रही कलम 
पकड़ के अपने
 छिन्न  वस्त्रों को
चौराहे की ओर  
बढ़ रही कलम 

चोर -डकैत 
सत्ता का अटैक 
रिशवत  के पैक
कितना कुछ
 सह  रही कलम
कोने पे बैठ 
पहन  के ब्लैक 
बुजदिल - बुद्धिजीवी
मना रहे उसका मातम



......मिलाप सिंह भरमौरी 

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