Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Friday, 6 September 2013

प्रथम हिन्दू महा संगीति : धर्म पर गलत असर


कोई गलत असर नही पड़ेगा धर्म पर
इससे और भी आस्था बड़ेगी धर्म पर 
और भी दिव्या होगी 
हवन कुण्ड  की ज्वाला 
और भी विस्तृत होगा
 धर्म का उजाला 
एक ही डोर से बंध जायेगा समाज
सुनहरे युग का होगा आगाज 

पहले जैसे ही बजेगी मन्दिरों में घंटिया 
पहले जैसे ही होगी आरती -पूजा 
पहले वाले ही होंगे आराध्य 
पर आराधना होगी पहले से भी  सभ्य  
वही  शास्त्र होंगे 
वही  वेद  होंगे
वही  होंगे पुराण  
उनसे ही जायेगा समस्त जगत को ज्ञान 

कर्म  -कांड वही  होंगे 
वही  होगा अखंड ध्यान
पहले जैसे ही मुण्डन  होंगे
 वैसे ही होंगे पिंड - दान
वही  धर्मस्थल होंगे 
वही  कर्म स्थल होंगे
वही  मन्त्र होंगे 
वही  शलोक  होंगे 
वही  रिवाज होंगे 
और वही  होंगे लोग

कुछ थोडा सा अंतर भी होगा 
जो  इस प्रथम  हिन्दू महा संगीति का मन्त्र होगा
पहला यह कि  
कर्म-कांड करते 
या पूजा पाठ  करते 
कोई पंडित किसी की  जाति  नही पूछेगा 
यजमान परिचय 
सिर्फ गोत्र तक ही सीमित  होगा

दूजा यह कि 
कर्म -कांड करने वाला 
शास्त्रों को पढने वाला 
सिर्फ -और -सिर्फ पंडित होगा
न  कि वो इक ब्राहमण होगा 
वो होगा सच्चा शास्र्तों  का ज्ञानी 
न की कोई वंशानुगत अज्ञानी
उसे होगा वेदों का ज्ञान
उसे याद  होगा पुराण  
उसमे होगी दिव्या ज्योति 
उसमे होगा दिव्या ध्यान
वो किसी भी जाति  का होगा 
पर उसमे होगा वान्षित  ज्ञान

इस नई  व्यवस्था से कुपित नही होंगे देव
न ही पितृ गण  हमसे रुठेंगे
कितना सभ्य  हो गया है इन्सान
वो उपर बैठे सोचेंगे 
इससे न धीमी होगी ध्यान की माला
वो उसी गति से घूमेंगी
हमारे धर्म की बुलंदी 
फिर एक बार आसमान को चूमेंगी

आगे की कविता अगली पोस्ट में भेजूंगा


मिलाप सिंह भरमौरी

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