Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Monday, 2 September 2013

प्रथम हिन्दू महा संगीति : क्यों ? आगे का भाग .......

प्रथम हिन्दू महा संगीति :  क्यों ?   आगे का भाग .......



......... फिर  झट से
 पलट  कर  वो जा 
पहुंच गया
आधुनिक परिद्रिश्य  पर
पहुंच गया वो 
कुछ भारत के राजघरानों पर
कुछ  व्यवसायिक  घरानों पर
नाम गिनाने  लगा वो 
उसने उससे शादी की थी 
उसकी फलानी जाती थी
उसने फ़लाने  धर्म में शादी की

उनको क्यों ये समाज कुछ नही कहता 
क्यों पहुंच जाता है 
मेरे घर तक ये
अगर उनको कुछ नही कहता तो क्यों 
 नही बनाता  
ऐसी  व्यवस्था 
जिसमे न हो   ये जाति  प्रथा 
अगर पूछे कोई जाती तो सिर्फ हिन्दू कहे 
और भाई चारा धर्म का केंद्र बिंदु रहे

ये सब बाते उसने
 अपने  दिल को तसल्ली देने के लिए की थी
फिर उसके बाद
 उसने  एक लम्बी साँस ली थी 

फिर जा पहुंचा वो 
अपनी घरवाली पर
वो पढ़ी -लिखी है
बैंक मनेजर है 
जब कहीं  आस -पडौस में 
या कहीं  जान  -पहचान  में 
इस तरह का विवाह होता था
तो वो बहुत  हंसती थी
मुस्कुराती थी 
मजाक उड़ाती थी
बहुत  बातें करती थी 
उनके चरित्र के बारे में
उसे क्या पता था 
कुछ सालों  बाद 
ये सब सब होगा 
उसके भी घर में
ये सब सोचा नही था 
सपने में भी उसने

आगे की कविता अगली पोस्ट में भेजूंगा 



........milap singh bharmouri

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