Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Monday, 28 October 2013

वंदे माँ तरम अब माते

वंदे माँ तरम  अब माते  
है सरमायेदार के चंगुल में
लूट - घसूट  भ्रस्ट निक्रिस्ठ  
खूब पनप  रहे इस जंगल में 

ठेकेदार का है राज यहाँ पर 
बस  ठेकेदारी चलती है 
जिस चिन्ह पर यह हाथ  रख  दे 
उसकी ही सरकार बनती है 

जिसको यह खरीदना चाहे 
सरकार उसी को बेचती है 
घाटे  का है या लाभ का उपक्रम 
सब मापदंड किनारे रखती है 

बाल्को , बेचा बी. एस .एन. एल .बेचा 
सब कुछ धीरे- धीरे बेच रही है 
कितने सपूत है उसके बेटे 
चुपके से भारत माता देख रही है 

गिद्द - सी नजर गड़ाए है 
कि रेह  न जाये विभाग सरकारी कोई 
शेयर मार्किट में पैसे लगाने थे 
बेच दिए सब इम्प्लॉई 

निजी हस्पतालों में हो रहा इलाज
निजी स्कूलों में हो रही पढाई 
बेच कर   चिकित्सा- शिक्षा सरकार 
निजी हाथों  को दे रही कमाई

अगर सब कुछ प्राइवेट ही करना ही है 
तो क्यों रहे यह सरकार भी सरकारी 
क्यों चुने इन सरमायदार के चमचों को 
क्यों रहे सत्ता में ये व्यभिचारी 

क्यों न हम भी जनमत बना ले
पाँच  साल कि सरकार के लिए 
इक वैशविक टैंडर निकालें  
जो देश सब से ज्यादा घूस  दे 
उस देश से  अपना प्रधानमंत्री 
और रास्ट्रपति बना लें 



....................मिलाप सिंह भरमौरी 


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