Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Tuesday, 5 August 2014

दिल की बगिया


दिल की इस बगिया को तुम
कभी कभी महका जाया करो न

सांझ सवेरे तकता रहता हूँ मैं
कभी तो छत पर आ जाया करो न

कैसी हो तुम, क्या खैर खबर है
मन सोच के यह घबरा जाता है

भोले से इस आशिक को तुम
इस उलझन में उलझाया करो न

------- मिलाप सिंह भरमौरी

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