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कुछ खास खुशबू है हवा के झौंके में छत पर बैठे मैंने आज महसूस किया है लगता है तेरे गालों को छुआ है इसने तू भी ठहलती है छत पे रोज मैंने सुना है
----------- मिलाप सिंह भरमौरी
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