Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Sunday, 21 December 2014

धर्म परिवर्तन


यूंही नहीं कहता जमाना
मेरे देश को हिन्दुस्तान
हिंदू से ही यहां बने इसाई
हिन्दू से ही मुसलमान

हर इंसान में है यहां हिन्दू खून
करते हैं यह सभी कबूल
गर स्वेच्छा से फिर बन रहे हैं हिन्दू
तो क्यों दे रहे हैं मसले को तूल

वैसे भी कब खुद मर्जी से
उन्होंने धर्म को छोडा था
यह तो बस तलवार के बल से
उनको इस्लाम की ओर मोडा था

अब नहीं है मुगलो की गुलामी
अब लोकतंत्र है भारत में
स्वेच्छा से फिर हिन्दू बनने को
हर कोई स्वतंत्र है भारत में

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 16 December 2014

मजहब

क्यों न गमजदा हो यह दिल
आखिर वो बच्चे ही तो थे

ऐसा क्या जुर्म किया था उन्होंने
जो अब इस दुनिया में न रहे

या रव उतर आ अब जमीं पर
बहुत बहुत पाप हो चुका है यहाँ पर

लोग भूल गए हैं इंसानियत का मतलब
भटक गए हैं कह मजहब मजहब

तू ही आकर अब असलियत दिखा दे
क्या है असली मजहब इनको बता दे

इस तरह बच्चों को मार देना तो मजहब नहीं है
बेकसूर लोगों को उजाड देना तो मजहब नहीं है

         ------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 8 December 2014

तेरी बहन

जब कोई तेरी बहन को छेडे
या बुरी नजर से देखे
आग लग जाती है सीने में
खून बहने लगता है पसीने में

कब तू सब्र कर पाता है
दो चार उसी वक्त जड देता है
कितनी नफरत हो जाती है पैदा
कुछ नहीं दिखता उसमें इंसान जैसा

पर तू जब खुद मन में लिए दुर्बुध
किसी की बहन को छेडता है
या बुरी नजर से देखता है
हवस भरे मन से
उसके घर या रास्ते की तरफ बढता है

तो तेरी अक्ल कहां खो जाती है
वो सब इंसानियत कहां खो जाती है
जब तू लौटता है व्यभिचार करके
दूसरे के घर में जहर भरके

क्यों नहीं तेरा मन करता मर जाने को
जहर निगल लेने को
फंदे से लटक जाने को
बडे फक्र से अपनी नीचता
अपने दोस्तों को सुनाता है
किसी इज्जत की निलामी को
गली गली तक पहुंचाता है

सुन तू तो दोषी है ही
तेरी यह बातें सुने वाले भी
दोषी ठहराऐ जाएंगे
तुझको फैंका जाएगा
उफनते तेल के कडाहे में
उनके कानों में भी
उफनता तेल डाला जाएगा

उसके घर में देर हो सकती है
मगर अंधेर नहीं होता
मैं महसूस कर रहा हूं
अभी से तुमको रोता

अभी भी संभल जा कुछ भला हो जाएगा
तू भी पाप से बच जाएगा
उसका भी घर बच जाएगा

मैं नहीं कहता सब तेरी ही गलती होगी
हो सकता है वो भी तुझे फोन करती होगी
पर राह गलत है मंजिल भी गलत ही होगी
जो जो करेगा पाप वही बनेगा भोगी

      ------ मिलाप सिंह भरमौरी