महसूस यूँ हुआ कुछ
आकर अपने गांव में
जैसे गोदी में भर लिया हो
प्यार से मां ने ।
इसकी मिट्टी के कण-कण से
मेरा रिश्ता गहरा है
सारा शरीर रोम- रोम
इससे ही तो बना है ।
फक्र होता है
इसकी आबोहवा से
जिससे मेरी जीव संरचना बनी है
रक्त दिया है मेरी रग- रग को इसने
और मुझको सांसे दी है ।
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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