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ढूँढ रहे थे इधर उधर जन्नत तो यहीं बसी है
इससे सुंदर कुदरत की काया शायद ओर कहीं नहीं है
यही तो है वादिए भरमौर यही तो है वादिए भरमौर।।
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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