गिर रहा था
अमृत सा पानी यहाँ झरनों से
हमने दो हाथ जोड कर
झुक कर पी लिया ।
हो चुका था तार- तार
इमान खींच तानी में
हमने बैठ कर
चौरासी में खुद ही सी लिया ।
लोग जाते हैं स्वर्ग को
मरने के बाद सुना है
हमने स्वर्ग सा जीवन
यहाँ आकर जी लिया ।
------------- मिलाप सिंह भरमौरी
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