Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Saturday, 3 August 2013

ख़ुशी के नाम की

ख़ुशी के नाम की कोई शय
 मुझे तेरी  कसम न मिली
गजल तो झिलमिलाई थी जहन  में
 पर कलम न मिली

अपनी मंजिल को दूर होता देखकर
  मै  भी परेशान  हुआ
पहुंच पाता  अपनी मंजिल  पर जिससे
 वो डगर न मिली

मेरा दर्द मिटा दे  कोई 'मिलाप'
 मैंने साईं बारोबार  किया
मगर मुझे वो मन्दिर ,वो जादू-टोना,
पीरोहरम   न मिली

मैंने सोचा शव -ए -  गम  है 
कभी तो ये  ख़त्म होगी ही
मै  रहा आस में ही मगर
 ख़ुशी की कोई सहर  न मिली

एक मौका आता  है जब सभी को 
दुनिया अच्छी  लगती है
मुझको आती पसंद जरा सी मगर
 वो दहर  न मिली




……मिलाप सिंह भरमौरी 

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