Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Friday, 2 August 2013

दिल तो मेरा तोड़ दिया है

दिल तो मेरा तोड़ दिया है
अब क्यों तरस खाते हो
गैर के हो कर  के क्यों अब
मुझसे प्यार जताते हो

बफा की राह  पे चल करके
हमने उम्र बिताई है
कबूल  है हमको उसकी सब
उसने जो जताई है
वक्त -ए  - कयामत है अब
तुम हमको क्यों भरमाते हो

ये दुनिया तो आगाज है इक 
ये कोई अंजाम नही है
उड़ने वाले परवाज कहें पर
ये कोई परवाज नही है
ये तो इक भ्रम- सा है 
मुझे सुनहरे फरिश्ते बताते है

दिल तो मेरा तोड़ दिया है
अब क्यों तरस खाते हो
गैर के हो कर  के क्यों अब
मुझसे प्यार जताते हो

……मिलप सिंह भरमौरी 

1 comment:

  1. दिल तो मेरा तोड़ दिया है
    अब क्यों तरस खाते हो
    गैर के हो कर के क्यों अब
    मुझसे प्यार जताते हो
    ......वो गजल याद रही है ..कभी किसी को मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता ...
    कुछ तो प्यार की मज़बूरी किस्मत के साथ चलती रहती है .....

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