Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Saturday, 14 June 2014

खाला जी का बाडा

सूखे को गीला
गीले को सूखा करना पडता है
तब कहीं जाकर
आटे से फुलका बनता है

खून पसीने की मेहनत से
तन को तर करना पडता है
तब कहीं जाकर
मिट्टी से दाना निकलता है

पर इन बातों से
सिर्फ एक ही तबका बाकिफ है
अमीरों के लिए तो
सब कुछ खाला जी का बाडा लगता है

------ मिलाप सिंह भरमौरी

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