सूखे को गीला
गीले को सूखा करना पडता है
तब कहीं जाकर
आटे से फुलका बनता है
खून पसीने की मेहनत से
तन को तर करना पडता है
तब कहीं जाकर
मिट्टी से दाना निकलता है
पर इन बातों से
सिर्फ एक ही तबका बाकिफ है
अमीरों के लिए तो
सब कुछ खाला जी का बाडा लगता है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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