a place for all original hindi kavita of milap singh bharmouri
बरस रही है आग अम्बर से
हवा के झोंके भी कहीं खो गए हैं सूख गई है नदियां और नाले
पशु पक्षी मौत की नींद सो रहे है
जला दिए हैं घास-फूस सब
सूरज के तेवर और उदण्ड हो रहे हैं
--- मिलाप सिंह भरमौरी
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