Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Tuesday, 28 October 2014

इश्क

Hindi shayari
@ @ @ @ @ @

इश्क नहीं हैं बंधन कोई
इश्क नहीं है गांठ

इश्क हो जाए पल दो पल में
लगे न अथक प्रयास

इश्क तो जोडे रूह को रूह से
इश्क तो है एहसास

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 27 October 2014

लोकतंत्र है एक मात्र उपाय

लोकतंत्र है एक मात्र उपाय
दुनिया में खुशहाली लाने का

भुक्त रहे हैं खूब नतीजा
कुछ देश आतंक फैलाने का

मजहब नहीं है कोई बाधा
किसी मुल्ख की तरक्की में

वो तो पिसवा रहे हैं लोगों को
अपने स्वार्थ की चक्की में

वरना आकर देख लें वो
भारत में कितना अमनो चैन है

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई
इसके बाशिंदे बौद्ध और जैन हैं

--------- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 16 October 2014

बेचारा मुशर्रफ !

पता नहीं कब पड जाए
गले में उसके फंदा
राजद्रोह का घोर
उस पर चल रहा मुकदमा

क्या करे बेचारा
संविधान तो देगा उसे झुला
इसलिए कश्मीर कश्मीर अलाप के
आतंकवादियो को रहा रिझा

इसकी बात का बुरा न मानना भाइयो
ऐसी परिस्थिति में
ऐसी ही हालत हो जाती है
सही गलत कहां पता चलता है
बुद्धि अक्सर खो जाती है

------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 12 October 2014

सुपरपावर का ऐलान


दुनिया को इक बार फिर
हैरान कर दिया
हुदहुद को हराकर
कमाल कर दिया ।

तुफान आने से पहले ही
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर
विकसित देशों को भी भारत ने
मात कर गया।

कश्मीर की आकस्मिक बाढ
कुछ न सकी बिगाड
अपना लोहा मना कर जवानों ने
भारत का ऊंचा नाम कर दिया ।

मंगलयान की कामयाबी
अभी नहीं हैं दुनिया भूली
भगाकर सरहद से ड्रेगनो को
सुपरपावर होने का ऐलान कर दिया ।

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 11 October 2014

गम के आंसुओं को


गम के आंसुओं को हम पी न सकेगें
दिल के टुकडों को हम सी न सकेगें
जाते हुए को पीछे से रोकना नहीं अच्छा
पर जाने के बाद आपके हम जी न सकेगें

------ मिलाप सिंह भरमौरी

हुदहुद


रहम करना तू सब पर
तू कुछ भी कर सकता है

पता है तू ही हुदहुद का
रास्ता बदल सकता है

संभाल लेना तू सब कुछ
खेत खलिहान बन रक्षक

तुझे पता है कैसे मुझ जैसे
गरीब का घर बनता है

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 10 October 2014

करवाचौथ मुबारक


करवाचौथ की रात शीतल प्यारी
पूरे करना सबके सपने सुनहरी

तू चांद में उनका चेहरा दिखाना
सीमा पर हैं जिनके पति प्रहरी

सुन मन मुटाव तू सबके मिटाना
करना प्रेम भावना ओर भी गहरी

सदा सुहागन का उनको वर देना
भूखी प्यासी हैं जो तेरे दिनभर ठहरी

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 8 October 2014

Aar paar ki


छोड के रोज की ठक ठक ठक ठक
बस एक बार की हो जाए
बहुत हो गई छिटपुट छिटपुट
अब आर पार की हो जाए

बहुत कठिन है पलायन करना
बेवजह ही पल पल मरना
उनके लहजे में उनकी ही भाषा में
अब खार खार सी हो जाए

बहुत हो गई हाथ मिलाई
गले से मिलना भी बहुत हुआ
काफिर के इन रिश्तों से
अब तार तार की हो जाए

बहुत दिनों तक जुदा रह लिए
अपने वतन के लोगों से
पाक से पोक की धरती को
भारत से मिलाव की हो जाए

------ मिलाप सिंह भरमौरी

वक्त आ गया

शम्मा को देख के तन जाता है
सीना खुद परवाने का
कभी कभी तो मिलता है मौका
हिम्मत और जोश दिखाने का

भगत सिंह है हर हिन्दोस्तानी
हर जन में है शेखर वीर सुभाष
पुण्य वक्त आ गया है
अब दुश्मन की ईंट से ईंट बजाने का

बहुत हो गई शांति की बातें
अब रुद्र रूप दिखाना होगा
घुटनों के नीचे लेकर गर्दन
अब मौका है उसको धूल चटाने का

जो खोया है वतन का टुकडा
जो ओरो के है अब अधीन
अब वक्त आ गया है उसमें भी
तीन रंगी परचम लहराने का

--------- मिलाप सिंह भरमौरी