Hindi shayari
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इश्क नहीं हैं बंधन कोई
इश्क नहीं है गांठ
इश्क हो जाए पल दो पल में
लगे न अथक प्रयास
इश्क तो जोडे रूह को रूह से
इश्क तो है एहसास
------ मिलाप सिंह भरमौरी
Hindi shayari
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इश्क नहीं हैं बंधन कोई
इश्क नहीं है गांठ
इश्क हो जाए पल दो पल में
लगे न अथक प्रयास
इश्क तो जोडे रूह को रूह से
इश्क तो है एहसास
------ मिलाप सिंह भरमौरी
लोकतंत्र है एक मात्र उपाय
दुनिया में खुशहाली लाने का
भुक्त रहे हैं खूब नतीजा
कुछ देश आतंक फैलाने का
मजहब नहीं है कोई बाधा
किसी मुल्ख की तरक्की में
वो तो पिसवा रहे हैं लोगों को
अपने स्वार्थ की चक्की में
वरना आकर देख लें वो
भारत में कितना अमनो चैन है
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई
इसके बाशिंदे बौद्ध और जैन हैं
--------- मिलाप सिंह भरमौरी
पता नहीं कब पड जाए
गले में उसके फंदा
राजद्रोह का घोर
उस पर चल रहा मुकदमा
क्या करे बेचारा
संविधान तो देगा उसे झुला
इसलिए कश्मीर कश्मीर अलाप के
आतंकवादियो को रहा रिझा
इसकी बात का बुरा न मानना भाइयो
ऐसी परिस्थिति में
ऐसी ही हालत हो जाती है
सही गलत कहां पता चलता है
बुद्धि अक्सर खो जाती है
------- मिलाप सिंह भरमौरी
दुनिया को इक बार फिर
हैरान कर दिया
हुदहुद को हराकर
कमाल कर दिया ।
तुफान आने से पहले ही
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर
विकसित देशों को भी भारत ने
मात कर गया।
कश्मीर की आकस्मिक बाढ
कुछ न सकी बिगाड
अपना लोहा मना कर जवानों ने
भारत का ऊंचा नाम कर दिया ।
मंगलयान की कामयाबी
अभी नहीं हैं दुनिया भूली
भगाकर सरहद से ड्रेगनो को
सुपरपावर होने का ऐलान कर दिया ।
------ मिलाप सिंह भरमौरी
गम के आंसुओं को हम पी न सकेगें
दिल के टुकडों को हम सी न सकेगें
जाते हुए को पीछे से रोकना नहीं अच्छा
पर जाने के बाद आपके हम जी न सकेगें
------ मिलाप सिंह भरमौरी
रहम करना तू सब पर
तू कुछ भी कर सकता है
पता है तू ही हुदहुद का
रास्ता बदल सकता है
संभाल लेना तू सब कुछ
खेत खलिहान बन रक्षक
तुझे पता है कैसे मुझ जैसे
गरीब का घर बनता है
----- मिलाप सिंह भरमौरी
करवाचौथ की रात शीतल प्यारी
पूरे करना सबके सपने सुनहरी
तू चांद में उनका चेहरा दिखाना
सीमा पर हैं जिनके पति प्रहरी
सुन मन मुटाव तू सबके मिटाना
करना प्रेम भावना ओर भी गहरी
सदा सुहागन का उनको वर देना
भूखी प्यासी हैं जो तेरे दिनभर ठहरी
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
छोड के रोज की ठक ठक ठक ठक
बस एक बार की हो जाए
बहुत हो गई छिटपुट छिटपुट
अब आर पार की हो जाए
बहुत कठिन है पलायन करना
बेवजह ही पल पल मरना
उनके लहजे में उनकी ही भाषा में
अब खार खार सी हो जाए
बहुत हो गई हाथ मिलाई
गले से मिलना भी बहुत हुआ
काफिर के इन रिश्तों से
अब तार तार की हो जाए
बहुत दिनों तक जुदा रह लिए
अपने वतन के लोगों से
पाक से पोक की धरती को
भारत से मिलाव की हो जाए
------ मिलाप सिंह भरमौरी
शम्मा को देख के तन जाता है
सीना खुद परवाने का
कभी कभी तो मिलता है मौका
हिम्मत और जोश दिखाने का
भगत सिंह है हर हिन्दोस्तानी
हर जन में है शेखर वीर सुभाष
पुण्य वक्त आ गया है
अब दुश्मन की ईंट से ईंट बजाने का
बहुत हो गई शांति की बातें
अब रुद्र रूप दिखाना होगा
घुटनों के नीचे लेकर गर्दन
अब मौका है उसको धूल चटाने का
जो खोया है वतन का टुकडा
जो ओरो के है अब अधीन
अब वक्त आ गया है उसमें भी
तीन रंगी परचम लहराने का
--------- मिलाप सिंह भरमौरी