Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Tuesday, 24 March 2015

Aag ugalti garmi

इस आग उगलती गर्मी से
कुछ दिन राहत पा आते हैं
लेकर के कुछ छुट्टियां
ठंडी भरमौर की वादियों में जा आते हैं

टेक आते हैं चौरासी में माथा
कुगती में कार्तिकेय के दर्शन पा आते हैं
बहुत प्रसिद्ध है मणिमहेश यात्रा
भोले के दर सिर झुका आते हैं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 20 March 2015

पगला बन

भीतर चला द्वंद्व
बाहर चले श्लोक।

इह लोक में फंसे हुए को
मिले कैसे परलोक।

जीना है तो अंदर की सुन ले
थोडा सा तू पगला बन ले।

देख के अपनी बर्बादी को भी
खींच के तू ताली ठोक।

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 18 March 2015

सोनोग्राफी

जल जाने से अच्छा है
सड जाना ।
उससे भी अच्छा है
जंगली जानवरों का
निवाला बन जाना ।

किसी का तो पेट भरेगा
तृप्त हो जाएगा रूह तक ।
चाव से चवाएगा हड्डियाँ
अगले दो पैरों से पकडकर ।

चलो किसी के काम तो आएगा
यह मृत निश्चल शरीर ।
क्यों रहता है मानव तू
अंतकर्म के लिए अधीर ।

इक अदृश्य क्रिया के कारण
क्या क्या करता फिरता मानव ।
रख कल गिरवी इंसानियत को
बन जाता है पूरे का पूरा दानव ।

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 1 March 2015

Barish

रोक रखा है मुझे
यह जाने नहीं देती

रोक रखा है मुझे
यह जाने नहीं देती ।

इस बारिश की जिद्द पे
किसका जोर चलता है ।

----- मिलाप सिंह भरमौरी