जब भी
बेटी का जन्मदिन आता है।
पापा खूब खुशियां मनाता है।
क्योंकि
उसे पता है जमाने का
यही समय है
बेटी की खुशियां मनाने का।
पता नहीं फिर ससुराल में
किसी को यह तारीख याद आए
पता नहीं फिर कोई
मेरी नन्ही परी का जन्मदिन मनाए।
........ मिलाप सिंह भरमौरी
जब भी
बेटी का जन्मदिन आता है।
पापा खूब खुशियां मनाता है।
क्योंकि
उसे पता है जमाने का
यही समय है
बेटी की खुशियां मनाने का।
पता नहीं फिर ससुराल में
किसी को यह तारीख याद आए
पता नहीं फिर कोई
मेरी नन्ही परी का जन्मदिन मनाए।
........ मिलाप सिंह भरमौरी
बाहर बर्फ बिछी है हरसू
नन्हे कदमों से सर्दी को हराना है
खतरे बहुत हैं इस मौसम में
फिर भी परीक्षा के लिए जाना है।
सर्दी से नहीं करते हैं हम
सिर्फ बर्फ पर पैर फिसलने से डरते हैं
स्कूल बहुत दूर है घर से
और खाईयों से गुजर कर जाना है।
चुनाब तो करवा लिए पहले
आपने इस मौसम के डर से
नन्हें बच्चों के बारे में भी सोचा होता
बस इसी विषय से अवगत करवाना है।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
बाईक तो मेरी थी
पर मैं चला नहीं रहा था
एक्सीडैंट हुआ वो मर गया
पर मैं वहां नहीं था।
मैं मैट्रिक पास हूँ
मुझे कानून नहीं आता है
उसे काम था , वही मांगकर ले गया था बाईक
उसकी मौत से मेरा कोई नहीं नाता है।
पर यह कानून मुझे ही
दोषी ठहरा रहा है
मुझ पर बाईस लाख का
हर्जाना लगा रहा है
मैं गरीब हूँ कहां से करूंगा इतना पैसा
मैं सचमुच आत्महत्या करने का मन बना रहा हूँ।
यह कहानी नहीं है हकीकत है सारी
क्या मुझे सजा मिलनी चाहिए
क्या राय है तुम्हारी.........???
इस में मैंने अपनी तो नहीं लेकिन
किसी की हकीकत लिखी है
आपकी राय बहुत ही कीमती है।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
रात का समय था
चौरासी में बैठा था
कृत्रिम रौशनी की झालरों में
मंदिर परिसर चमक रहा था
उस मनमोहक दृष्य को देखकर
यूंही मन में ख्याल आया
इन्ही मंदिरो को ही तो देखने आते हैं सब लोग
छोडकर सब मोहमाया
पर यहां पर हम पूरे परिसर को
तम्बुओं की दुकानों से ढक देते हैं
कहीं पर जूते चप्पलों की दुकान
तो कहीं पर पकौडे और जलेबी रख देते हैं
मंदिरों की मनमोहकता तो
इस तंबू बाजार में ही खो जाती है
कुछ मंदिर तो दिखते ही नहीं हैं
धर्म भावना भी इस झमेले में कहीं सो जाती है
क्यों न निजी लाभ को छोडकर
हम भक्तों की भावना को सर्वोपरी मानें
इस बार मणिमहेष यात्रा के समय
न लगाएं चौरासी मंदिर परिसर में दुकानें
यह खेल खिलौने चप्पल कपडे तो
आजकल हर कहीं मिल जाते हैं
भक्ती भावना से सरावोर दूर दूर से
लोग तो इन मंदिरों को ही देखने आते हैं ।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
अगर साथ नहीं है कोई
तो अकेले ही चलते रहिए।
इक दिन मंजिल मिल जाएगी जरूर
बस प्रयास करते रहिए।
मेहनत करने से कोई
कमजोर नहीं हो जाता।
रात के आ जाने से दिन में
अँधेरा घनघोर नहीं हो जाता।
साहस को रखिए रोम रोम में
पर आलस से डरते रहिए।
तेरी मेहनत के पसीने से
कामयावी की फसलें लहराएंगी।
घने अँधेरे को चीर के तल से
खुशहाली की रौशनी आएगी।
फिर चले जाएंगे खुद आकर तुफान
बस उम्मीदों के चिराग जलाते रहिए।
........ मिलाप सिंह भरमौरी
यह कैसी शिक्षा पा रहा है युवा
देशभक्ति पर छा रहा है धुँआ
दोस्त और दुश्मन में फर्क मालूम नहीं है
लगता है खूब गांजा अफीम खा रहा है युवा
देशद्रोह है यह कोई नादानी नहीं है
जो देश विरोधी नारे लगा रहा है युवा
भूल कर वलिदान शहीदों का वतन के लिए
यह किस राह पर जा रहा है युवा
.............. मिलाप सिंह भरमौरी
।। गर्व से कहो हम भारतीय है।।
।।जय हिंद।। जय भारत।। वंदे मातरम।।
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सम्सत भारत का एक ही नारा
कश्मीर चाहिए सारे का सारा।।
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भूल जा कश्मीर का सपना,,
अबके इस्लामाबाद में तिरंगा फहराऐगें।।
बंगला देश तो रख नहीं पाया
और अब कश्मीर की बात करता है
अरे ओ बडबोले पाकिस्तान
सचमुच मूर्ख और पागल लगता है।
धर्म के आधार पर बना था तू
लेकिन धार्मिक हो नहीं पाया
कितने ही मुस्लमानो का खून
वलोचिस्तान में है तुमने बहाया।
तब कहां गया था मजहब तेरा
जब बंगलादेश की सब्र की सीमा टूटी थी
तेरी इस लूच्ची बुजदिल सेना ने
लाखों मुस्लिम बेटियों की इज्जत लूटी थी
जब अपनी बंदूक निकाल के उसने
ढाका में भारत के चरणों में रख दी थी
तुम नियाजी से कब्र पर जाकर पूछो
कैसे उसने तेरी सारी इज्जत नंगी कर थी।
तेरे यहां कोई दीन धर्म की बात नहीं है
बस नफरत से पाकिस्तान चलता है
तशुदत और जुल्म के मेलजोल से
तुज जैसे देश का संबिधान बनता है।
थोडी सी भी तुझमे अगर अकल बची है
तो तू खुद आकर देख ले भारत में
प्यार से सब मजहब के लोग यहां
कैसे रहते है मिलजुल कर आपस में।
अरे भूल जा तू कश्मीर का सपना
वरना तेरी तकदीर के साथ धौखा होगा
अबके सीधा तिरंगा गढेगा इस्लामाबाद में
सोच न कि दोबारा कोई शिमला समझौता होगा ।
....... मिलाप सिंह भरमौरी