Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Saturday, 30 December 2017

बेटी का जन्मदिन

जब भी

बेटी का जन्मदिन आता है।

पापा खूब खुशियां मनाता है।

क्योंकि 

उसे पता है जमाने का

यही समय है 

बेटी की खुशियां मनाने का।

पता नहीं फिर ससुराल में 

किसी को यह तारीख याद आए

पता नहीं फिर कोई 

मेरी नन्ही परी का जन्मदिन मनाए।

........ मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 13 December 2017

सर्दी को हराना है

बाहर बर्फ बिछी है हरसू
नन्हे कदमों से सर्दी को हराना है
खतरे बहुत हैं इस मौसम में
फिर भी परीक्षा के लिए जाना है।

सर्दी से नहीं करते हैं हम
सिर्फ बर्फ पर पैर फिसलने से डरते हैं
स्कूल बहुत दूर है घर से
और खाईयों से गुजर कर जाना है।

चुनाब तो करवा लिए पहले
आपने इस मौसम के डर से
नन्हें बच्चों के बारे में भी सोचा होता
बस इसी विषय से अवगत करवाना है।

....... मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday, 2 August 2017

बाईक तो मेरी थी

बाईक तो मेरी थी
पर मैं चला नहीं रहा था
एक्सीडैंट हुआ वो मर गया
पर मैं वहां नहीं था।

मैं मैट्रिक पास हूँ
मुझे कानून नहीं आता है
उसे काम था , वही मांगकर ले गया था बाईक
उसकी मौत से मेरा कोई नहीं नाता है।

पर यह कानून मुझे ही
दोषी ठहरा रहा है
मुझ पर बाईस लाख का
हर्जाना लगा रहा है
मैं गरीब हूँ कहां से करूंगा इतना पैसा
मैं सचमुच आत्महत्या करने का मन बना रहा हूँ।

यह कहानी नहीं है हकीकत है सारी
क्या मुझे सजा मिलनी चाहिए
क्या राय है तुम्हारी.........???
इस में मैंने अपनी तो नहीं लेकिन
किसी की हकीकत लिखी है
आपकी राय बहुत ही कीमती है।

...... मिलाप सिंह भरमौरी

Friday, 9 June 2017

चौरासी मंदिर परिसर

रात का समय था
चौरासी में बैठा था
कृत्रिम रौशनी की झालरों में
मंदिर परिसर चमक रहा था

उस मनमोहक दृष्य को देखकर
यूंही मन में ख्याल आया
इन्ही मंदिरो को ही तो देखने आते हैं सब लोग
छोडकर सब मोहमाया

पर यहां पर हम पूरे परिसर को
तम्बुओं की दुकानों से ढक देते हैं
कहीं पर जूते चप्पलों की दुकान
तो कहीं पर पकौडे और जलेबी रख देते हैं

मंदिरों की मनमोहकता तो
इस तंबू बाजार में ही खो जाती है
कुछ मंदिर तो दिखते ही नहीं हैं
धर्म भावना भी इस झमेले में कहीं सो जाती है

क्यों न निजी लाभ को छोडकर
हम भक्तों की भावना को सर्वोपरी मानें
इस बार मणिमहेष यात्रा के समय
न लगाएं चौरासी मंदिर परिसर में दुकानें

यह खेल खिलौने चप्पल कपडे तो
आजकल हर कहीं मिल जाते हैं
भक्ती भावना से सरावोर दूर दूर से
लोग तो इन मंदिरों को ही देखने आते हैं ।

        ...... मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 4 May 2017

प्रयास करते रहिए।

अगर साथ नहीं है कोई
तो अकेले ही चलते रहिए।
इक दिन मंजिल मिल जाएगी जरूर
बस प्रयास करते रहिए।

मेहनत करने से कोई
कमजोर नहीं हो जाता।
रात के आ जाने से दिन में
अँधेरा घनघोर नहीं हो जाता।
साहस को रखिए रोम रोम में
पर आलस से डरते रहिए।

तेरी मेहनत के पसीने से
कामयावी की फसलें लहराएंगी।
घने अँधेरे को चीर के तल से
खुशहाली की रौशनी आएगी।
फिर चले जाएंगे खुद आकर तुफान
बस उम्मीदों के चिराग जलाते रहिए।

........ मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 28 February 2017

Deshbhakti


यह कैसी शिक्षा पा रहा है युवा
देशभक्ति पर छा रहा है धुँआ

दोस्त और दुश्मन में फर्क मालूम नहीं है
लगता है खूब गांजा अफीम खा रहा है युवा

देशद्रोह है यह कोई नादानी नहीं है
जो देश विरोधी नारे लगा रहा है युवा

भूल कर वलिदान शहीदों का वतन के लिए
यह किस राह पर जा रहा है युवा

.............. मिलाप सिंह भरमौरी

          ।।  गर्व से कहो हम भारतीय है।।

।।जय हिंद।। जय भारत।। वंदे मातरम।।
----------------------------------------------------

      सम्सत भारत का एक ही नारा
      कश्मीर चाहिए सारे का सारा।।

----------------------------------------------------

Sunday, 26 February 2017

Bhool ja kashmir ka sapna

भूल जा कश्मीर का सपना,,
अबके इस्लामाबाद में तिरंगा फहराऐगें।।

बंगला देश तो रख नहीं पाया
और अब कश्मीर की बात करता है
अरे ओ बडबोले पाकिस्तान
सचमुच मूर्ख और पागल लगता है।

धर्म के आधार पर बना था तू
लेकिन धार्मिक हो नहीं पाया
कितने ही मुस्लमानो का खून
वलोचिस्तान  में है तुमने  बहाया।

तब कहां गया था मजहब तेरा
जब बंगलादेश की सब्र की सीमा टूटी थी
तेरी इस लूच्ची बुजदिल सेना ने
लाखों मुस्लिम बेटियों की इज्जत लूटी थी

जब अपनी बंदूक निकाल के उसने
ढाका में भारत के चरणों में रख दी थी
तुम नियाजी से कब्र पर जाकर पूछो
कैसे उसने तेरी सारी इज्जत नंगी कर थी।

तेरे यहां कोई दीन धर्म की बात नहीं है
बस नफरत से पाकिस्तान चलता है
तशुदत और जुल्म के मेलजोल से
तुज जैसे देश का संबिधान बनता है।

थोडी सी भी तुझमे अगर अकल बची है
तो तू खुद आकर देख ले भारत में
प्यार से सब मजहब के लोग यहां
कैसे रहते है मिलजुल कर आपस में।
अरे भूल जा तू कश्मीर का सपना
वरना तेरी तकदीर के साथ धौखा होगा
अबके सीधा तिरंगा गढेगा इस्लामाबाद में
सोच न कि दोबारा कोई शिमला समझौता होगा ।

    
....... मिलाप सिंह भरमौरी