Milap Singh Bharmouri
Saturday 21 June 2014
Nasha nash
Hindi shayari
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मांगेंगे भीख गली गली तुम
या बन जाओगे फिर चोर डकैत
हर नशा नाश का नाम है
हो शराब चरस सिगरेट या स्मैक
संभल जा दोस्त है वक्त अभी भी
कि उज्जवलता अभी गई नहीं
पर देर हो गई ज्यादा तो फिर
समझ लो यह जीवन हो गया ब्लैक
------- मिलाप सिंह भरमौरी
Friday 20 June 2014
Thursday 19 June 2014
Garmi ka mousam
बहती नहीं हवा जरा भी
झौंके कहीं पर छुप गए हैं
सूरज जी हैं अब आग बबूले
क्रोध से इसके यह डर गए हैं
झुला रहे हैं हाथ से पंखा
दिवारों में सब दुवक गए हैं
जमीन कर रही त्राहि - त्राहि
बडे- बडे दरख्त भी झुलस गए हैं
आसमान है साफ खाली- खाली
बादल नहीं कहीं दिख रहे हैं
प्यास के मारे यह उडते परिन्दे
धरती पर तडफ के गिर रहे हैं
विभत्स कर रहा हर दृश्य 'मिलाप'
बूढे जीव - जन्तु मर के सड रहे हैं
------ मिलाप सिंह भरमौरी
मनीमहेष
Hindi shayari
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गर्मी में सर्दी का एहसास होता है
क्या कहूँ इसके बारे में दोस्त मैं ओर
बर्फ से ढकी चोटियां है इसकी और
मनीमहेष , शिव की भूमि है भरमौर
----- मिलाप सिंह भरमौरी
Saturday 14 June 2014
खाला जी का बाडा
सूखे को गीला
गीले को सूखा करना पडता है
तब कहीं जाकर
आटे से फुलका बनता है
खून पसीने की मेहनत से
तन को तर करना पडता है
तब कहीं जाकर
मिट्टी से दाना निकलता है
पर इन बातों से
सिर्फ एक ही तबका बाकिफ है
अमीरों के लिए तो
सब कुछ खाला जी का बाडा लगता है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
Thursday 12 June 2014
हिमाचल प्यारा
कितना सुंदर
कितना प्यारा
महका- महका
न्यारा - न्यारा
सबसे अच्छा
हिमाचल प्यारा
शुध्दम शुद्धम
ठंडक ठंडक
दयार की छां में
जीवन धारा
सादा सादा
बुलंद इरादा
पर्वत की चोटी
स्वर्ग जहाँ का
---- मिलाप सिंह भरमौरी
Wednesday 11 June 2014
Kullu hadsa
कुल्लू लापरवाही
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ट्रेन निकलती है
तो फाटक लगता है
रोड के चौराहे पर भी
एक बत्ती जलती है
पर इन आदमखोर
डैम की राह पर
सिर्फ लापरवाही बसती है
निगल गया देखो
देश के भविष्य को
नजरअंदाज कर रहे है
ये कब से खतरों को
आज का कार्पोरेशन
यह कैसा बिजनेस करता है
कम से कम में काम चलाओ
कोई मरता है तो मरता है
अरे बहुत खेले कुदरत से
अब कुछ तो वाज आओ
नंगी नदी किनारे कोई बाड लगाओ
या भर्ती करो लोगों को
या कोई सॉलिड सिग्नल सिस्टम लगाओ
----- मिलाप सिंह भरमौरी
( कुल्लू में व्यास नदी हादसे में मारे गए लोगों की आत्मा को भगवान शांति दें--बहुत ही दुखद घटना है यह )
Monday 9 June 2014
वक्त हर पेच को ठीक कर देता है
वक्त हर पेच को ठीक कर देता है
जख्म गहरे से भी गहरे को भर देता है
जिसे मुंह दिया है रोटी भी होगी ही
जहां में हर कोई अपना गुजारा कर लेता है
------ मिलाप सिंह भरमौरी
Sunday 8 June 2014
जिन्दगी
जिन्दगी सब्र में क्याम करती है
जिन्दगी सबका एहतराम करती है
इसके लिए अमीर-फकीर कुछ भी नहीं
ये तो मुफलिसी में भी नाम करती है
---- मिलाप सिंह भरमौरी
Wednesday 4 June 2014
विश्व पर्यावरण दिवस
प्रकृति है भगवान की देन
न तू इंसान इसको छेड
वृक्ष लगा , जंगल को बचा
नहीं तो फिर हो जाएगी देर
पानी का सदुपयोग करो
पैट्रोल का न दुरुपयोग करो
साथ में जा , साइकिल को चला
देखा - देखी में न बन भेड
देशी खाद को खेत में डाल
सन के झोले है बडे कमाल
पोलीथीन हटा, कीटनाशक घटा
अगली नस्ल की तरक्की देख
--- मिलाप सिंह भरमौरी
( विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ )
Monday 2 June 2014
सूरज के तेवर
बरस रही है आग अम्बर से
हवा के झोंके भी कहीं खो गए हैं
सूख गई है नदियां और नाले
पशु पक्षी मौत की नींद सो रहे है
जला दिए हैं घास-फूस सब
सूरज के तेवर और उदण्ड हो रहे हैं
--- मिलाप सिंह भरमौरी
Sunday 1 June 2014
आम
फलों में आम की है सरदारी
फल से गुठली तक है गुणकारी
महक से इसकी लार टपक जाए
हर इंसान के दिल पर है यह भारी
--- मिलाप सिंह भरमौरी