Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Tuesday 17 November 2015

रक्तदान

रक्तदान के महत्ब का
तब पता चलता है
जब कोई अपना
आई सी यू में जिंदगी के लिए
संघर्ष कर रहा होता है

जन्म देने वाली मां भी
अपने बच्चे को नही बचा सकती
उसके मुरझाते हुए चेहरे पर
मुस्कान नहीं ला सकती

लेकिन एक अनजान
कर के रक्त का दान
अनमोल जिंदगी को बचा लेता है
यमराज की दहलीज पर
पहुंच चुकी सांसो को
फिर से वापिस ले आता है

......मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday 1 November 2015

होस्पीटल और मंदिर

मंदिर में भगवान
हमारी परोक्ष रूप से
सहायता करते हैं
और हम
पूरी श्रद्धा के साथ
दानपात्र को भरते हैं
और मंदिर के परिसर को
साफ सुथरा रखते हैं

होस्पीटल में डाक्टर
हमारी प्रत्यक्ष रूप से
सहायता करते हैं
जिनको रो चुके होते हैं परिजन
ऐसे शरीरों में भी
जान भरते हैं

और बदले में हम
क्या करते हैं
जगह जगह गंदगी फैला कर
शौचालय और परिसर को गंदा करते हैं
कब सुधरेगें हम
कब सुधरने की
खुद से ही पहल करेंगे हम

क्यों न मंदिर की तरह
सरकारी होस्पीटलों को भी
तन मन से पवित्र रखें हम
और क्यों न
मंदिरों की तरह
सरकारी होस्पीटलों में भी
दानपात्र रखें जाएं
और अपनी अपनी हैसियत से
होस्पीटलों में भी चढावा चढाएं
और प्रशासन
उस पैसे को
होस्पीटल के सुधार पर लगाए

    ...... मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday 22 October 2015

राय बहादुर जोधामल जी

आज के जमाने में जब
लोग एक एक इंच जमीन के लडते हैं
लेकिन कुछ लोग
ऐसे भी हुए हैं
जो सैंकडो एकड भुमि दान करते थे

ऐसे ही एक दानी थे
राय बहादुर जोधामल जी
जिन्होने टांडा मैडिकल कोलेज कांगडा के लिए
बहुत सारी भुमि दान की थी

आज उनकी दान की हुई भुमि पर
एक सरकारी मैडिकल कोलेज है
जिसने हजारों मरीजों को
ठीक कर के नई जिंदगी दी है

आज उस महान समाज सेवक का
जन्म दिवस है
मेरा मन आज उनकी प्रतिमा के
नीचे सिर झुका कर तर है

  ........ मिलाप सिंह भरमौरी

( समाज सेवक स्व. राय बहादुर जोधामल जी को उनके ) जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई !!!

Thursday 23 July 2015

चौरासी में

बैठा हूँ चौरासी में
भोले के मंदिर के आगे।
तांबे के नंदी के पास
तख्ती से पीठ लगा के।

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday 22 July 2015

Kugti village

पानी बहने की
आवाज सुनाई देती है
गाडिय़ों का यहाँ
कोई शोर नहीं है।

शुद्ध हवा के झोंके
सरसराते हैं यहाँ
दम घोटता धुआँ
किसी ओर नहीं है।

न शराब का ठेका
न घरेलू मिलती है यहाँ
कुगती की तरह सुंदर
कोई गांव नहीं है।

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday 20 July 2015

Jharne

गिर रहा था
अमृत सा पानी यहाँ झरनों से
हमने दो हाथ जोड कर
झुक कर पी लिया ।

हो चुका था तार- तार
इमान खींच तानी में
हमने बैठ कर
चौरासी में खुद ही सी लिया ।

लोग जाते हैं स्वर्ग को
मरने के बाद सुना है
हमने स्वर्ग सा जीवन
यहाँ आकर जी लिया ।

------------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday 19 July 2015

Kudarat ki kaya

ढूँढ रहे थे इधर उधर
जन्नत तो यहीं बसी है

इससे सुंदर कुदरत की काया
शायद ओर कहीं नहीं है

यही तो है वादिए भरमौर
यही तो है वादिए भरमौर।।

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Mehsus hua kuch

महसूस यूँ हुआ कुछ
आकर अपने गांव में
जैसे गोदी में भर लिया हो
प्यार से मां ने ।

इसकी मिट्टी के कण-कण से
मेरा रिश्ता गहरा  है
सारा शरीर रोम- रोम
इससे ही तो बना है ।

फक्र होता है
इसकी आबोहवा से
जिससे मेरी जीव संरचना बनी है
रक्त दिया है मेरी रग- रग को इसने
और मुझको सांसे दी है ।

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday 24 March 2015

Aag ugalti garmi

इस आग उगलती गर्मी से
कुछ दिन राहत पा आते हैं
लेकर के कुछ छुट्टियां
ठंडी भरमौर की वादियों में जा आते हैं

टेक आते हैं चौरासी में माथा
कुगती में कार्तिकेय के दर्शन पा आते हैं
बहुत प्रसिद्ध है मणिमहेश यात्रा
भोले के दर सिर झुका आते हैं

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Friday 20 March 2015

पगला बन

भीतर चला द्वंद्व
बाहर चले श्लोक।

इह लोक में फंसे हुए को
मिले कैसे परलोक।

जीना है तो अंदर की सुन ले
थोडा सा तू पगला बन ले।

देख के अपनी बर्बादी को भी
खींच के तू ताली ठोक।

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday 18 March 2015

सोनोग्राफी

जल जाने से अच्छा है
सड जाना ।
उससे भी अच्छा है
जंगली जानवरों का
निवाला बन जाना ।

किसी का तो पेट भरेगा
तृप्त हो जाएगा रूह तक ।
चाव से चवाएगा हड्डियाँ
अगले दो पैरों से पकडकर ।

चलो किसी के काम तो आएगा
यह मृत निश्चल शरीर ।
क्यों रहता है मानव तू
अंतकर्म के लिए अधीर ।

इक अदृश्य क्रिया के कारण
क्या क्या करता फिरता मानव ।
रख कल गिरवी इंसानियत को
बन जाता है पूरे का पूरा दानव ।

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday 1 March 2015

Barish

रोक रखा है मुझे
यह जाने नहीं देती

रोक रखा है मुझे
यह जाने नहीं देती ।

इस बारिश की जिद्द पे
किसका जोर चलता है ।

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday 8 January 2015

मासूम बचपन

एक रुपये का सिक्का
उसने झट से जेब से निकाल कर
काउंटर पर रखा

और बडे मासूमियत से बोली
मैंने पैसे दे दिए हैं
आप रहने दो पापा

कितना मासूम होता है बचपन
उनहें क्या पता
कितनी होती है किस चीज की कीमत

एक रुपये के सिक्के से ही
वो खुद को अमीर समझ लेते हैं
कितने ही पवित्र , दिल से बच्चे होते हैं

  ------ मिलाप सिंह भरमौरी