Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Thursday 23 July 2015

चौरासी में

बैठा हूँ चौरासी में
भोले के मंदिर के आगे।
तांबे के नंदी के पास
तख्ती से पीठ लगा के।

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Wednesday 22 July 2015

Kugti village

पानी बहने की
आवाज सुनाई देती है
गाडिय़ों का यहाँ
कोई शोर नहीं है।

शुद्ध हवा के झोंके
सरसराते हैं यहाँ
दम घोटता धुआँ
किसी ओर नहीं है।

न शराब का ठेका
न घरेलू मिलती है यहाँ
कुगती की तरह सुंदर
कोई गांव नहीं है।

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Monday 20 July 2015

Jharne

गिर रहा था
अमृत सा पानी यहाँ झरनों से
हमने दो हाथ जोड कर
झुक कर पी लिया ।

हो चुका था तार- तार
इमान खींच तानी में
हमने बैठ कर
चौरासी में खुद ही सी लिया ।

लोग जाते हैं स्वर्ग को
मरने के बाद सुना है
हमने स्वर्ग सा जीवन
यहाँ आकर जी लिया ।

------------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday 19 July 2015

Kudarat ki kaya

ढूँढ रहे थे इधर उधर
जन्नत तो यहीं बसी है

इससे सुंदर कुदरत की काया
शायद ओर कहीं नहीं है

यही तो है वादिए भरमौर
यही तो है वादिए भरमौर।।

------ मिलाप सिंह भरमौरी

Mehsus hua kuch

महसूस यूँ हुआ कुछ
आकर अपने गांव में
जैसे गोदी में भर लिया हो
प्यार से मां ने ।

इसकी मिट्टी के कण-कण से
मेरा रिश्ता गहरा  है
सारा शरीर रोम- रोम
इससे ही तो बना है ।

फक्र होता है
इसकी आबोहवा से
जिससे मेरी जीव संरचना बनी है
रक्त दिया है मेरी रग- रग को इसने
और मुझको सांसे दी है ।

   ----- मिलाप सिंह भरमौरी