Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Saturday 11 June 2022

हंगर इंडेक्स

।।हंगर इंडेक्स।।
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कुछ दिन पहले
यू. एन. की एक सूची आई थी।
जिसने भारत की स्थिति पर
चिंता बढ़ाई थी।

कहा था भूखे सोने वालों की संख्या में
भारत सूची में ओर नीचे फिसल गया है।
गरीबी में पड़ोसी देशों से
कुछ ओर आगे निकल गया है।

मुझे तो यह सूची ही
पक्षपात से पूर्ण लगती है।
या सर्वे करने में
यू. एन. की ही कोई गलती है।

क्योंकि भारत द्वारा
गेंहू के निर्यात बंद की घोषणा से
दुनिया के ऊपरी दर्जे के
तृप्त देशों के हाथ पैर फूल गए थे।
खुद सूची बनाने वाले यू. एन .की
आंखो में आसूं आ गए थे।

भारत के अनाज पर निर्भर रहते हैं
और उस भारत को भूखा बताते हैं।
जिसका आर्थिक मंदी जैसे माहौल भी
कुछ नहीं बिगाड पाते हैं।

या तो यू .एन .रमजान के महीने में
भारत में सर्वे करवाता है
या नवरात्रों के महीने में यू .एन.
भारत में आता है।
जब भारत की जनता रोजे और व्रत रखती है
यू .एन. को लगता है भारत की अधिकांश जनता भूखी प्यासी रहती है।

.....मिलाप सिंह भरमौरी।

Thursday 12 August 2021

पहाड़

अब डर डर कर जीना सीख लो
अब आंसू पीना सीख लो
कब फट जाए वाटर बम
कब हो जाए आंखें बंद
कब दरक जाए पहाड़
कब खिसक जाएं सड़कें।

बस ख़बरें सुनो
भगवान को कोसो
और
फिर भूल जाओ सब
करो इंतज़ार 
फिर ऐसा होगा कब?

कुदरत को जब छेड़ोगे
ऐसे ही दृश्य देखोगे
कुदरत केस दर्ज नहीं करवाती
कुदरत थाने नहीं जाती
कुदरत सिर्फ
अपनी ताकत दिखाती है।

बहुत बांध लिए पानी की धारा
बहुत डूबोई वन सम्पदा पानी में
व्यवसाय तो चमका होगा इससे
लेकिन मानवता चली गई है हानि में

अब तो संभलो।

....मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday 31 July 2021

स्थिरता

स्थिर पानी में
बारिश की बूंदे
करती हैं हिलोरें 
मन की तरह
जैसे भाव उमड़ते हैं असंख्य
फैलाते हैं दायरा
दूर तक सोच का
एक के उपर एक
फिर दूसरा - ओर कितने ही
करते हैं संघर्ष
अपनी परिधि बचाने के लिए।

और
मन जूझता है
विचारों के इस मंथन में
देर तक
सही गलत सही गलत के द्वंद में
पानी को चाहिए
इंतज़ार करे
बारिश के रुक जाने तक
आंधी के रुक जाने तक
फिर पहले जैसी स्थिरता के लिए।

....मिलाप सिंह भरमौरी।

Saturday 17 July 2021

badal

चिंता में डूबे बादल
सभा कक्ष में बैठे
कर रहे इंतजार समाचार का
कैसा रहा संघर्ष उत्तर का
द्वंद चल रहा लगातार
मन में
क्या जीत होगी साधारण सी
या हार भयानक
जिसका इल्जाम आयेगा
बादलों के सिर
कोसे जाएंगे पल पल
दी जाएगी बद्दुआएं वर्षों तक।

कहर नजर आयेगा सबको
नहीं कहेंगे
बादलों की हार हुई
एक महान संघर्ष में
संघर्ष जिसमें अपना सब कुछ झोंक दिया
प्रयास किया अंत तक
कि पानी बनने से पहले
वे पहुंच सके
निर्जन सूखे स्थान तक
कि पानी का कतरा कतरा
करे नया सृजन जीवन का।

आसमानी बिजली की
कर्कश ध्वनि से
ध्यान टूटा
सभा में बैठे चिंतातुर बादलों का
सबकी निगाहें गई
सभा में आए सन्देश वाहक बादल पर
जो खड़ा था सिर को झुकाए
सामने चुपचाप
नहीं निकल रहे शब्द कोई भी।

कुछ देर बाद
पूछा एक बूढ़े बादल ने
कहो कैसा रहा परिणाम युद्ध का
क्षमा याचना की स्थिति में
उसने सिर को हिलाया
नहीं 
हम हार गए।
हम लडे अंतिम क्षण तक
पर नहीं बचा सके किसी को
बह गया एक पूरा गांव
बन गया वीरान
बह गई मिट्टी रह गए पत्थर
उखड़ गए पेड़
रह गई टूटी जड़ें विनाश का प्रतीक।

हमने पूरी कोशिश की
अपनी दिशा बदलने की
पर भारी जल संग्रह
पर्वतों के बीचोबीच
हर दिशा में बनता रहा अवरोध
उत्सर्जित करता रहा अनवांछित क्रियाएं
कि असफल हो गए हम 
खुद को धकेल पाने में
ओर हो गया भयानक विस्फोट।
 
पर मानव कब मानेगा गलती अपनी
देगा केबल बादलों को दोष
कि कर रहा 
अब अधिक गति से विस्फोट
फट रहे हैं पहले से
बहुत अधिक बादल
पर शायद ही ढूंढेगा
वो हमारी असमर्थता के कारण।


.....मिलाप सिंह भरमौरी 



Saturday 7 March 2020

करोना वायरस

सूरज देवता जी
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बड़े बड़े देशों के
छुड़वा दिए हैं छक्के
जो बनते फिरते थे टेक्नोलोजी में पक्के

अब करोना वायरस ने
भारत को ललकारा है
पर तुम पर ही सूर्य देव जी
भरोसा हमारा है।

पूरी दुनिया में हम ही हैं
जो सुबह सुबह तुम को पानी चढ़ाते हैं
पूरी श्रद्धा के साथ
तुम्हारे आगे शीश झुकाते हैं।

हमें यकीन है
निराश नहीं करोगे हमको
तुम मई के महीने की तरह
मार्च में ही चमको।

दे दो तापमान 40० C का
फिर देखें क्या हाल होता है
इस वायरस का
मक्खियां मच्छर तक मर जाते हैं
आपके आशीर्वाद से
सूर्य देव जी भूलना मत विनती हमारी
तुम बढ़ा दो तापमान आज से।

......मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday 22 February 2020

पृष्ठभूमि



आकर्षित करता था
पर्वत का मलवा
राह के पास गिरा पड़ा
बड़ी बड़ी चट्टानों का
पर्वत के चरणों में 
शायद इसी वर्ष
बरसात में टूटा था
जो अनन्त काल से
खड़ा था उस उस पर्वत के साथ
जिसे कहते थे पर्वत
आज बन चुका मलवा चट्टानों का
शायद घिस घिस कर बह जाएगा
मिट्टी बनकर
इक दिन
राह पे चलते लोग अचानक
निकाल लेते हैं अपना मोबाईल
उस दृश्य को देखकर
और हो जाते हैं व्यस्त
वहां फोटो खींचवाने में
उस मलबे की पृष्टभूमि में
बिना पृष्ठभूमि को पहचाने।

.....मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday 27 October 2019

प्रदूषण की राजनीति

अच्छे काम का श्रेय

हर कोई लेना चाहता है


मैंने किया मैंने किया


हर कोई कहता है

दो महीने पहले 


बारिश कुछ अच्छी हुई


दिल्ली की हवा 


पहले से कुछ स्वच्छ रही


कोहराम मचा दिया नेताओं ने


मेरे कारण मेरे कारण


प्रदूषण कम हुआ है


हवा स्वच्छ है मेरे कारण

मेरी नीतियां अच्छी है


तभी तो दिल्ली में


साफ हवा बहती है


हंसी आती थी खबरों को सुनकर


हवा की इस राजनीति पर


अरे भाइयों हवा तो


बारिश की वजह से साफ थी


इसमें राजनीति की क्या बात थी

अगर नीतियां अच्छी थी


तो आज प्रदूषण कहां से आया


स्रोत वही हैं प्रदूषण के


जो पहले हुआ करते थे


बस दो महीने पहले


जरा बादल ज्यादा बरसे थे

प्रदूषण कम करना है तो


कुछ गत्ते बनाने की सरकारी फैक्ट्रियां


पंजाब और हरियाणा में लगाओ


लाभ हानि मत देखो मुनाफा


मुफ्त में किसानों की


खेतों से पराली उठाओ


पर्सनल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाओ


पब्लिक यातायात को


ओर बेहतर बनाओ।

....... मिलाप सिंह भरमौरी