Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Saturday, 3 May 2025

बोझ

कोई फर्क नहीं पड़ता है जग को
तेरी अमीरी और फकीरी से।
पर मुख से निकले शब्द तेरे
दिल को दहला और सहला जाते हैं।

इसलिए मीठा मीठा बोला कर
शब्द कहने से पहले तौला कर।
सारा जग सुंदर लगने लगेगा
अंदर का तूफान छंटने लगेगा।
जो ले न पाए होशियारी से 
वो नादानी में भी पा जाते हैं।

क्या भूख कभी मिटती है किसी की
कुछ घंटों बाद फिर लग जाती हैं।
मसला जीभ और आंखों का है 
जो जठर की अग्नि भड़काती है 
कुछ एक वक्त में भी जी जाते हैं 
कुछ जीवन के अर्थ को खा जाते है।

मसला रहन सहन का है 
मसला मन की शांति का है।
मसला है कि कितनी जरूरत है 
यहां सामान तो भांति भांति का है 
कुछ बोझ कांधे पर रख लेते हैं 
कुछ कर के किनारा निकल जाते हैं।




मिलाप सिंह भरमौरी 

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