Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Monday, 17 February 2014

जिंदगी में बहुत कुछ सहना पड़ता है  I
कभी खुशिओं में कभी गम में रहना पड़ता है II

कोई रो रो कर ही तकदीर बना  लेता  है I
किसी को तो हंसना भी मंहगा पड़ता है II

कभी नाम का ही खौफ होता है हरसूं I
कभी साये से भी अपने डरना पड़ता है II

कभी सोहरत का कोई हिसाब नही होता I
कभी कितनी ही नजरों को पढ़ना पड़ता है II

कभी पूछे कोई  हाल मेरा  'मिलाप ' मुझसे I
खुछ हूँ बहुत मै झूठ भी कहना पड़ता है II

            --------मिलाप सिंह भरमौरी

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