जिंदगी में बहुत कुछ सहना पड़ता है I
कभी खुशिओं में कभी गम में रहना पड़ता है II
कोई रो रो कर ही तकदीर बना लेता है I
किसी को तो हंसना भी मंहगा पड़ता है II
कभी नाम का ही खौफ होता है हरसूं I
कभी साये से भी अपने डरना पड़ता है II
कभी सोहरत का कोई हिसाब नही होता I
कभी कितनी ही नजरों को पढ़ना पड़ता है II
कभी पूछे कोई हाल मेरा 'मिलाप ' मुझसे I
खुछ हूँ बहुत मै झूठ भी कहना पड़ता है II
--------मिलाप सिंह भरमौरी
कभी खुशिओं में कभी गम में रहना पड़ता है II
कोई रो रो कर ही तकदीर बना लेता है I
किसी को तो हंसना भी मंहगा पड़ता है II
कभी नाम का ही खौफ होता है हरसूं I
कभी साये से भी अपने डरना पड़ता है II
कभी सोहरत का कोई हिसाब नही होता I
कभी कितनी ही नजरों को पढ़ना पड़ता है II
कभी पूछे कोई हाल मेरा 'मिलाप ' मुझसे I
खुछ हूँ बहुत मै झूठ भी कहना पड़ता है II
--------मिलाप सिंह भरमौरी
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