हर बार गुजर जाती हो मुझे घायल कर के !
जुल्फ बरसती नही कभी तेरी बादल बनके !!
सित्तमगर तेरे सित्तम मै कैसे बयान करूं !
छोड़ देती हो मुझे जानिब तुम माइल कर के !!
दिल में मुमकिन नही तो पांब में ही रख ले !
लिपटा रहूँगा तुमसे मै तेरी पायल बन के !!
जिसे देख के ही इतना खुश हूँ मै 'मिलाप '!
क्या बन जाउंगा उसे फिर हासिल करके !!
...............मिलाप सिंह भरमौरी
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