Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Monday 9 September 2013

धरा का स्वर्ग : मणिमहेश


आसमान में उड़ते बादल  
मध्यम - मध्यम श्यामवर्ण में
धरा पर फैली बर्फ दूर तक 
सफेद चादर सी सफेद वर्ण में
कभी अंधकार कभी उजाला 
मनमोहक दृश्य लगे निराला 
सपना नही यह अपना देश है
धरा का स्वर्ग यह मणिमहेश है

उन्मुक्त ख्याल में उड़ते  बादल  
मदमस्त- सी चाल  में घूम रहे है
फेरी लगाते  बार -बार
देखे मिलाप अगणित बार
मधुर स्पर्श से छुए धरा को
मानों  प्रेम से चूम रहे है
प्रकृति संगम का यह जीता भेष है
धरा का स्वर्ग यह मणिमहेश है

प्रकृति ने ऐसा  नशा बिखेरा  
भूल गये सब मेरा - तेरा
शिव की चिलम  का नशा निराला
प्राणी लगे जैसे पिया हो प्याला 
इन्सान प्रार्थना करे शिव से
भूले  न यह दृश्य मन से 
यह दुनिया  का बस  मंजर एक है 
धरा का स्वर्ग यह मणिमहेश है 


मिलाप सिंह भरमौरी 


bharmour





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