Milap Singh Bharmouri

Milap Singh Bharmouri

Thursday 17 October 2013

चंबा का चौगान

चंबा का चौगान 
खूबसूरत मैदान
कर  देता ख़ूबसूरती से 
आने- जाने वालों को हैरान

पता नही क्यों ?..
आज फिर दिल कर  रहा  है
मैं आऊं  तेरे पास
सैंकू  मीठी - सी  धूप  को 
स्पर्श करूं नीली- सी घास

और बैठू  
रावी  कैफे में
कुछ पल के लिए
बहुत   खूबसूरत  दिखती है 
उस खिड़की से 
रावी  बल लिए

पता नही क्यों ?.....
आज फिर दिल कर  रहा है
माथा टेकूं  
लक्ष्मी - नरायण मन्दिर में
बैठ कर  
संग्रहालय के बरामदे पर
खोजू खुद को ही 
अपने अंदर से



................मिलाप सिंह भरमौरी 

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